लेबर पार्टी की 14 साल बाद सत्ता में वापसी, भारत-ब्रिटेन FTA का क्या होगा भविष्य…
भारत की आजादी के समय ब्रिटेन की सत्ता पर बैठी लेबर पार्टी 14 साल बाद सत्ता में वापस आ गई है।
कीर स्टार्मर आधिकारिक रूप से ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। लेबर पार्टी के सत्ता में आते ही भारत और ब्रिटेन के बीच हो रहे है एफटीए पर संशय खड़ा हो गया है।
हालांकि लेबर पार्टी ने अपने मैनिफेस्टो में भारत के साथ एफटीए को लेकर भी घोषणा की थी।
दरअसल, भारत और यूके के बीच में 2022 में शुरू हुई भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता(एफटीए) की चर्चा का उद्देश्य भारत और ब्रिटेन के बीच में व्यापार को बढ़ावा देना है। भारत के बड़े और बढ़ते बाजार तक पहुंच प्रदान करके आर्थिक संबंधों को बढ़ाना है।
भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 20.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 23-24 में 21.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था। ऐसे में पिछले 14 सालों से एक ही पार्टी की सत्ता के बाद सत्ता में बदलाव भारत और ब्रिटेन की नीतियों में परिवर्तन ला सकता है।
भारत के साथ एफटीए पर नए पीएम का नजरिया क्या
भारत का साथ इन दिनों दुनिया में लगभग हर देश चाहता है। एक उभरता मध्यवर्ग हर देश के व्यापारी वर्ग को अपनी तरफ खींचता है। भारत के साथ एफटीए पर ब्रिटेन के नए पीएम कीर स्टार्मर का रुख लेबर पार्टी के 2024 के चुनावी मेनिफेस्टो में बताया गया है।
जिसमें “भारत के साथ नई रणनीतिक साझेदारी बनाने की योजना की रुपरेखा दी गई है, जिसमें एक मुक्त व्यापार समझौता, सुरक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन में सहयोग को गहरा करना शामिल है।
पिछले साल इंडिया ग्लोबल फोरम में कीर स्टार्मर ने कहा था कि एक संशोधित लेबर पार्टी के लिए उनका नजरिया एफटीए को पारित करना है।
कीर ने कहा कि मेरी लेबर सरकार भारत के साथ लोकतंत्र और हमारे साझा मूल्यों पर आधारित संबंधों को मजबूत करेगी।
हमारी सरकार एफटीए को लागू करवाने में मदद करेगी, और साथ ही साथ वैश्विक सुरक्षा, जलवायु सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा के लिए नई रणनीतिक साझेदारी भी तय करता है।
क्या स्टार्मर का आना भारत-यूके एफटीए को कैसे प्रभावित करेगा
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के मुताबिक लेबर पार्टी भारत के साथ एफटीए से लाभान्वित होने की यूके की क्षमता को पहचानेगी , जिससे इंपोर्ट और एक्पोर्ट को फायदा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि सबूत के तौर पर वह ऐतिहासिक मिसालों को देख सकते हैं। भारत के साथ अपने संबंधित एफटीए के बाद आसियान, जापानी और दक्षिण कोरियाई निर्यात में लगातार सुधार हो रहा।
उन्होंने कहा कि जैसे ही लेबर पार्टी कार्यभार संभालेगी, वह इसे मंजूरी दे सकती है। उन्होंने कहा कि एफटीए को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है और भारतीय पेशेवरों के लिए वीजा की संख्या में कटौती जैसे कुछ मामूली चीजों पर बात हो कर, लेबर सरकार इसे आगे बढ़ा सकती है।
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